यही सोचता रहता हूँ मैं ये इतने लोग कहाँ जाते हैं सुबह-सुबह ! यही सोचता रहता हूँ मैं ये इतने लोग कहाँ जाते हैं सुबह-सुबह !
चलो कुछ लिखें, अपना भी...! चलो कुछ लिखें, अपना भी...!
सोचता हूँ अब महज उसका नाम लिखूँ...! सोचता हूँ अब महज उसका नाम लिखूँ...!
समझाने पर ओ दौड़ जाता था क्योंकि ओ मेरा लाडला छोटा बीटा था। समझाने पर ओ दौड़ जाता था क्योंकि ओ मेरा लाडला छोटा बीटा था।
'झूठे वादे कसमे खाकर, रिश्ता कैसे टिक पाएगा ! पूरी शिद्दत से चाह लिया गर, दुश्मन भी तेरे घर आएगा। सब... 'झूठे वादे कसमे खाकर, रिश्ता कैसे टिक पाएगा ! पूरी शिद्दत से चाह लिया गर, दुश्मन...
रचनाकार की लेखनी में एक अद्भुत सा अहसास है ! रचनाकार की लेखनी में एक अद्भुत सा अहसास है !